कार्यशाला में टिकाऊ वनीकरण तकनीकों पर बल दिया गया तथा विशेष रूप से नर्सरियों में मायकोराइजल फफूंद के उपयोग पर चर्चा की गई, जिससे पौधों को पानी और पोषक तत्व बेहतर ढंग से मिलते हैं। यह तकनीक खासकर 80-85 डिग्री तक की खड़ी ढलानों पर कारगर मानी जाती है जहां नमी और पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधे लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते।
133 ईको टास्क फोर्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल दीपक कुमार ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में विविध और घनी वृक्षारोपण की जरूरत पर बल दिया ताकि मिट्टी को मजबूती मिल सके। एचएफआरआई के वैज्ञानिकों ने बटालियन मुख्यालय, कुफरी में ईको टास्क फोर्स की नर्सरी का निरीक्षण किया और वहां सुधार के लिए व्यावहारिक सुझाव दिए।
इस अवसर पर डॉ. अश्वनी टपवाल ने पौधों की जीवित रहने की क्षमता बढ़ाने में मायकोराइजल फफूंद की भूमिका बताई। डॉ. प्रवीण रावत ने मवेशियों से चराई रोकने और जंगल की आग से बचाव के लिए चारा बाड़बंदी के महत्व पर बल दिया। वहीं एचएफआरआई के निदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता के लिए एकीकृत पौध प्रबंधन और बायो-रिमेडिएशन पर बल दिया।
ईको टास्क फोर्स के जवानों ने सर्वोत्तम पर्यावरणीय उपाय अपनाने, कार्बन फुटप्रिंट घटाने, जैव विविधता को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को संरक्षण कार्यों में शामिल करने का संकल्प लिया। इस पहल से क्षेत्र की 100 हेक्टेयर से अधिक बंजर भूमि को लाभ मिलने की उम्मीद है।

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