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हिमाचल प्रदेश में दल-बदल पर कड़ी कार्रवाई: अयोग्य ठहराए गए विधायकों को पेंशन और भत्ते न देने का विधेयक राष्ट्रपति भवन भेजा

 



हिमाचल प्रदेश में दल-बदल कर अयोग्य ठहराए गए विधायकों को पेंशन और भत्ते न दिए जाने के संबंध में एक महत्वपूर्ण विधेयक अब राष्ट्रपति भवन भेजा गया है। यह विधेयक "हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024" के रूप में पिछले साल मानसून सत्र में पारित हुआ था। कांग्रेस सरकार ने यह विधेयक उन छह विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के संदर्भ में पेश किया था, जिन्होंने भाजपा प्रत्याशी को वोट देकर पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था।

विधेयक पर राज्यपाल द्वारा कुछ आपत्तियाँ जताई गई थीं, जिनमें धारा 6(ख) के तहत लागू होने की तिथि का स्पष्ट उल्लेख न होना और पुनः निर्वाचित होने पर पेंशन पात्रता जैसे सवाल शामिल थे। मार्च 2025 में इन सवालों के जवाब दिए जाने के बाद, राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए अग्रेषित कर दिया।

विधेयक के मुताबिक, यदि कोई विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित होता है, तो वह पेंशन और भत्तों का पात्र नहीं रहेगा। इसके अतिरिक्त, पहले प्राप्त पेंशन और भत्तों की वसूली भी की जा सकेगी। यह प्रावधान राज्य की राजनीति में एक सख्त सन्देश के रूप में देखा जा रहा है।

इस विधेयक से देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा को पेंशन और भत्ते नहीं मिलेंगे, जबकि सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर, और आईडी लखनपाल के कार्यकाल की पेंशन में गणना नहीं की जाएगी। खास बात यह है कि सुधीर शर्मा और लखनपाल फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, जबकि बाकी चार पराजित हो गए।

अब इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार है। यदि मंजूरी मिल जाती है, तो इसे देशभर में दल-बदल पर नियंत्रण लगाने वाले ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जाएगा।

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