केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में (सांसद सुश्री इंदु बाला गोस्वामी के सवाल के जवाब में) बताया कि हिमाचल प्रदेश में रेलवे परियोजनाओं में देरी मुख्य रूप से राज्य सरकार द्वारा भूमि हस्तांतरण न करने और फंड का अपना हिस्सा जारी न करने के कारण हो रही है।
1. भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेलवे लाइन (63 किमी)
यह परियोजना वर्तमान में भूमि और फंड विवाद का मुख्य केंद्र है।
क. भूमि अधिग्रहण के मुद्दे (Land Acquisition Issues)
कुल आवश्यक भूमि: 124 हेक्टेयर।
राज्य द्वारा हस्तांतरित: 82 हेक्टेयर (यहाँ काम चल रहा है)।
लंबित क्षेत्र: बिलासपुर से बेरी के बीच की महत्वपूर्ण भूमि अभी तक रेलवे को हस्तांतरित नहीं की गई है, जिससे उस क्षेत्र में निर्माण कार्य रुका हुआ है।
ख. वित्तीय विसंगतियां (Financial Discrepancies)
इस परियोजना की लागत साझा करने का मॉडल 75% केंद्र / 25% राज्य है।
| श्रेणी | राशि (₹ करोड़) |
| कुल स्वीकृत लागत | 6,753 (इसमें भूमि अधिग्रहण के लिए 1,617 करोड़ शामिल हैं) |
| अब तक खर्च की गई राशि | 5,252 |
| राज्य सरकार की देनदारी | 2,711 |
| राज्य सरकार द्वारा भुगतान | 847 |
| राज्य सरकार पर बकाया | 1,863 |
नोट: मंत्री जी ने बताया कि केंद्र सरकार इस परियोजना को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसकी सफलता राज्य सरकार के सहयोग और बकाया राशि के भुगतान पर निर्भर करती है।
2. बजट आवंटन की तुलना
मंत्री जी ने पिछले वर्षों की तुलना में हिमाचल प्रदेश के लिए फंडिंग में भारी वृद्धि पर प्रकाश डाला:
2009 – 2014: कुल 108 करोड़ रुपये प्रदान किए गए थे।
2025 – 2026: 2,716 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
3. अन्य रेलवे लाइनों पर अपडेट
दौलतपुर चौक - करौली - तलवाड़ा: इस 52 किमी लंबी लाइन पर काम शुरू कर दिया गया है।
चंडीगढ़ - बद्दी: 1,540 करोड़ रुपये की लागत वाली इस 28 किमी नई रेलवे लाइन का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
4. बिलासपुर - लेह रेलवे लाइन (सामरिक परियोजना)
रक्षा मंत्रालय ने इसे सामरिक महत्व (Strategic Importance) की परियोजना के रूप में चिह्नित किया है।
स्थिति: सर्वेक्षण पूरा हो चुका है; विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार है।
अनुमानित लागत: 1,31,000 करोड़ रुपये।
कुल लंबाई: 489 किमी।
इंजीनियरिंग चुनौती: इस लाइन का 270 किमी हिस्सा सुरंगों (टनल) के बीच से गुजरेगा।

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