हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में एक बड़ी क्रांति आई है। राज्यसभा सांसद प्रोफेसर (डॉ.) सिकन्दर कुमार की नई किताब "मोदी युग में आर्थिक सशक्तिकरण" (विमोचन: उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन) में 'अटल सुरंग' के अद्भुत प्रभाव का खुलासा किया गया है।
यहाँ हैं इस बदलाव के मुख्य बिंदु:
पर्यटन का धमाका: लाहौल अब 'शीत मरुस्थल' नहीं रहा! हर महीने औसतन 1 लाख पर्यटक इस सुरंग को पार कर रहे हैं, जिससे यहाँ साल भर पर्यटन का सीजन रहने लगा है।
समय और दूरी की बचत: 3,200 करोड़ की लागत से बनी इस सुरंग ने मनाली और केलोंग के बीच की दूरी को 116 किमी से घटाकर मात्र 71 किमी कर दिया है।
रणनीतिक ताकत: यह न केवल पर्यटकों के लिए, बल्कि भारतीय सेना के लिए लद्दाख तक पहुँचने का एक मजबूत वैकल्पिक मार्ग बन गई है।
सुरक्षा में वर्ल्ड क्लास: 10,000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी सुरंग होने के साथ-साथ, इसमें अग्नि नियंत्रण और उन्नत वायु गुणवत्ता निगरानी जैसे हाई-टेक फीचर्स भी हैं।
हिमाचल के लिए और क्या है खास? 🚀
सिर्फ सुरंग ही नहीं, भविष्य की तैयारी भी बड़ी है:
पर्वतमाला प्रोजेक्ट: अगले 5 सालों में हिमाचल में 3,232 करोड़ की लागत से 7 नई रोपवे परियोजनाएं (कुल 57 किमी) आएंगी। पालमपुर, बिजली महादेव और भरमौर जैसे क्षेत्रों में यात्रा अब और भी रोमांचक और सुगम होगी।
डिजिटल क्रांति: ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट 200% बढ़ा है। अब हिमाचल के गाँवों में भी डिजिटल लेनदेन और ई-सेवाएं शहरों की बराबरी कर रही हैं।
कौशल विकास: 'पीएम विश्वकर्मा योजना' के तहत हिमाचल के 1.83 लाख से अधिक युवाओं और कारीगरों को ट्रेनिंग और आर्थिक मदद मिल रही है।
वित्तीय समावेश: जन धन योजना के तहत प्रदेश में लगभग 20 लाख खाते खुले हैं, जो सीधे तौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं।
निष्कर्ष: अटल सुरंग ने न केवल पहाड़ का सीना चीरा है, बल्कि विकास के बंद रास्तों को भी खोल दिया है। यह आत्मनिर्भर भारत और सशक्त हिमाचल की एक शानदार मिसाल है। 🇮🇳

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