बांग्लादेश के हालात लगातार चिंताजनक होते जा रहे हैं। हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के बाद अब वहां के मशहूर 'बाउल' (Baul) गायक इस्लामी चरमपंथियों के निशाने पर हैं। 'तौहीदी जनता' नामक कट्टरपंथी समूह ने हाल ही में कोर्ट के पास तीन गायकों पर जानलेवा हमला किया। इनका कसूर? सिर्फ इतना कि ये मानवता, प्रेम और आध्यात्म के गीत गाते हैं, जिसे ये चरमपंथी "गैर-इस्लामी" करार दे रहे हैं। 😔
जहां पूरी दुनिया बाउल संगीत को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर मानती है, वहीं बांग्लादेश में अब इसे कुचला जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार इस हिंसा पर पूरी तरह खामोश तमाशा देख रही है। 🤫 कार्रवाई तो दूर, उल्टा गायक अबुल सरकार जैसे पीड़ितों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है, जिससे वहां के छात्रों और कलाकारों में भारी आक्रोश है। ⚖️❌
विशेषज्ञ इसे बांग्लादेश में 'धार्मिक फासीवाद' की आहट बता रहे हैं। शेख हसीना के जाने के बाद क्या बांग्लादेश अब पूरी तरह सांस्कृतिक अराजकता की ओर बढ़ रहा है? यह न केवल बांग्लादेश, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है।
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