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हिमाचली डॉक्टर बाईकिंग भानू को राष्ट्रपति ने सम्मानित किया

 


धर्मशाला, 12 सितम्बर 2025 — हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के राशील गांव के विख्यात लैप्रोस्कोपी विशेषज्ञ डॉ. बाइकिंग भानू को जनजातीय क्षेत्रों में उनकी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं और योगदान के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में सम्मानित किया। यह सम्मान विशेष रूप से उन व्यक्तियों को दिया गया है जिन्होंने देश के दूरदराज़ और जनजातीय इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा या सामाजिक विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।

हिमाचल से एकमात्र प्रतिनिधि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा देश भर से आमंत्रित किए गए जनजातीय क्षेत्रों में योगदान देने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों में हिमाचल प्रदेश से केवल डॉ. बाइकिंग भानू का चयन हुआ। उन्हें इस अवसर पर न सिर्फ सम्मानित किया गया, बल्कि जनजातीय क्षेत्रों से जुड़ी नीतियों और कार्यक्रमों के निर्धारण व कार्यान्वयन पर अपने सुझाव देने के लिए भी आमंत्रित किया गया।

शिक्षा और सैन्य सेवा

डॉ. भानू का जन्म 28 अगस्त 1976 को राशील गांव, लाहौल-स्पीति में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा राजकीय विद्यालय कुल्लू में पूरी करने के बाद उन्होंने 1994 में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से एमबीबीएस की पढ़ाई की और इसके बाद भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त किया। नौसेना में रहते हुए उन्होंने आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज पुणे से जनरल सर्जरी में एमएस और 2011 में जनरल सर्जरी में डीएनबी किया।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई और सम्मान

डॉ. भानू ने 18 मई 2004 को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त कर इतिहास रचा। वे एवरेस्ट फतह करने वाले विश्व के पहले डॉक्टर बने। इस उपलब्धि के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नौसेना शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मातृभूमि की सेवा के लिए सेवानिवृत्ति

सर्जन कमांडर के पद पर रहते हुए उन्होंने 12 दिसम्बर 2015 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। उनका उद्देश्य अपने राज्य के ग्रामीण और दुर्गम जनजातीय क्षेत्रों में सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना था। इसी दिशा में उन्होंने कार्य करते हुए "लैप्रोस्कोपी लैंसर्स" नाम से एक समूह बनाया, जो ग्रामीण इलाकों में कार्य करने वाले सर्जनों को लैप्रोस्कोपी तकनीक में प्रशिक्षित करता है।

संस्थापक और सामाजिक कार्य

वे भानू अस्पताल, कुल्लू और मंडी के संस्थापक निदेशक भी हैं। अस्पतालों के माध्यम से और मेडिकल कैंप आयोजित कर वे कई जनजातीय गांवों तक पहुंच चुके हैं। उनकी पहल से हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं, खासकर वे मरीज जो शहरों तक पहुंच पाने में असमर्थ हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

डॉ. भानू के पिता, श्री एस. डी. भानू, सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल पद से सेवानिवृत्त हुए थे, जबकि उनकी माता श्रीमती पमोली भानू एक कुशल गृहिणी हैं। परिवार की सैन्य पृष्ठभूमि और अनुशासन ने डॉ. भानू की समाजसेवा की सोच और दृढ़ निश्चय को और मजबूत बनाया।

डॉ. बाइकिंग भानू की उपलब्धियों और समर्पण ने न सिर्फ हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का अवसर प्रदान किया है। राष्ट्रपति से मिला यह सम्मान उनके योगदान की राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता है।


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