कुल्लू 07 जुलाई।
भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा अटल सदन सभागार में चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी की जयंती के अवसर पर एक बहुभाषी कवि सम्मेलन एवं साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन करवाया गया। इस सम्मेलन में जिला कुल्लू के 18 कवियों ने भाग लिया।
इस सम्मेलन में विभिन्न वरिष्ठ एवं युवा कवियों द्वारा हिन्दी, पहाड़ी, संस्कृत, और उर्दू भाषाओं में कविताएं सुनाई गईं। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जिला भाषाधिकारी प्रोमिला गुलेरिया ने की
इस दौरान स्वर्गीय चंद्रधर शर्मा गुलेरी द्वारा हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को सहेजने के लिए दिए गए योगदानों को याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर सूरत ठाकुर ने ' संस्कृति मानव आत्मा' नामक कविता सुनाकर एक मनोवैज्ञानिक संदेश दिया। अजेय ने गुलेरी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार व अनुभव व्यक्त किये और "तुम कुछ साल बाद आना" नामक कविता का पाठ किया। इशिता गिरीश द्वारा "पहाड़ से प्रेम" नामक कविता पढी गई। पल्लवी ने एक पहाड़ी कविता सुना कर प्राकृतिक आपदा से हुए विनाश का वर्णन किया। ओजस्विनी ने गुलेरी जी की "कहानी उसने कहा था" को कविता के रूप में प्रस्तुत किया। रूपिंदर पुनीत पटियाल ने "मैं ही तो महाकाल कालों का काल" नामक कविता पढी । शबनम ने "मेरे पापा" नामक कविता सुनाई, मोनिका ने व्यास नदी का सुंदर वर्णन करते हुए कविता सुनाई। ईशा कुमारी "लोग तो अच्छे पहले वाले ही थे" नामक कविता सुनाकर सबका मनोरंजन किया सुनीता ने मां पर कविता पढ कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। श्रुति ने श्री राम के आदर्शों को अपनाने के लिए एक सुंदर कविता का पाठ किया, मेनका ने "कलम" को अपना हथियार बनाने की बात अपनी कविता में कही। श्रीमती सरला चम्बयाल द्वारा मधुर कुलवी गीत सुना कर सबको मंत्रमुग्ध किया। गणेश गणी ने "हादसा" और "भगदड़" दो कविताएं व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए करारी चोट की। धनेश गौतम ने " अमर रहेगी तू मूर्ति हर हाल में" नामक कविता पढ़कर प्राकृतिक आपदा का मार्मिक वर्णन किया। जय प्रकाश शर्मा " ने किस्म किस्म की जद्दोजहद" नामक गजल सुना कर समां बांधा। दोतराम पहाड़िया ने "शोभला हिमाचल" नामक लोकगीत गा कर समा बांधा। ज्योति प्रकाश द्वारा "वक्त" नामक कविता सुनाकर सबको भाव विभोर किया। इस प्रकार सभी साहित्यकार वर्ग द्वारा समाज को अपनी अपनी कविताओं के माध्यम से एक सुंदर संदेश देते हुए चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि देकर याद किया।
अंत में जिला भाषा अधिकारी कुल्लू द्वारा कार्यक्रम में पधारे सभी गणमान्य का धन्यवाद किया गया तथा भविष्य में भी इसी तरह हर कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की गई।

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