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दिव्यांगजनों के लिए समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) और एनसीईआरटी के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए

 

आज नई दिल्ली में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार और केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने की।

इस सहयोग का प्राथमिक उद्देश्य दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम2016 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप दिव्यांगजनों के लिए समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत ढांचा स्थापित करना है। यह साझेदारी एक समावेशी शैक्षिक इकोसिस्टम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैजो दिव्यांगजनों को सशक्त बनाता है और देश भर में समान सीखने के अवसरों को बढ़ावा देता है।

इस समझौते के तहतएनआईओएस दिव्यांगजनों की शिक्षा के लिए विशेष मान्यता प्राप्त संस्थान (एसएआईईडी) स्थापित करेगाजो डीईपीडब्ल्यूडी की दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना (डीडीआरएस) के तहत वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित विशेष स्कूलों को मान्यता देगा। ये संस्थान मुक्त बुनियादी शिक्षा (स्तर एबी और सी)माध्यमिकवरिष्ठ माध्यमिक और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों सहित विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम प्रदान करेंगे। एनआईओएस प्रवेशपरीक्षा पंजीकरणस्व-शिक्षण सामग्री (एसएलएम) का वितरण तथा पहचान पत्रहॉल टिकट और प्रमाण पत्र जारी करने का प्रबंधन करेगा। यह परीक्षाओं के दौरान दिव्यांग छात्रों के लिए आवश्यक सुविधाएं और छूट भी सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा एनसीईआरटी दिव्यांग शिक्षार्थियों के लिए प्रासंगिकतापहुंच और समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करते हुए एनईपी 2020 के सिद्धांतों और शैक्षणिक दृष्टिकोण के साथ सामंजस्य सुनिश्चित करने के लिए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा और अनुकूलन करेगा।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि दिव्यांग बच्चों में भरपूर क्षमता होती है और उन्हें सही मंच मिलने पर वे अपनी प्रतिभा से समाज को रोशन कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह सपना रहा है कि देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा तक समान पहुंच मिले। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन उस दिशा में एक मजबूत कदम है और साझेदारी इस बात की पुष्टि करती है कि दिव्यांगजन बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक अधिकार है।

अपने संबोधन मेंश्री धर्मेंद्र प्रधान ने जीवन को सही दिशा देने में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि एनईपी 2020 का उद्देश्य सभी के लिए समान शैक्षिक अवसर सुनिश्चित करना है। उन्होंने समाज से दिव्यांगता के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील बनने का आह्वान किया। एक न्यायपूर्ण एवं समावेशी समाज के लिए दिव्यांग व्यक्तियों का सशक्तीकरण आवश्यक है। श्री प्रधान ने प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति का उल्लेख कियाजिससे अब दिव्यांग व्यक्तियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करना संभव हो गया है। उन्होंने स्कूलों में सुलभ शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने के बारे में भी बात की और घोषणा की कि आने वाले वर्षों में मिशन मोड में उन राज्यों के स्कूलों में सुलभ शौचालयों की सुविधा प्रदान की जाएगीजहां सुलभ शौचालयों की कमी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

इस अवसर परश्री राजेश अग्रवालसचिव (दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग) ने दिव्यांग बच्चों के जीवन में शिक्षा के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) दोनों ही इस कार्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। दिव्यांग बच्चों को विज्ञान पढ़ते देखना उत्साहवर्धक है। हमारा लक्ष्य यह है कि इस समुदाय के अधिक से अधिक छात्र आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश पाएं। भारतीय सांकेतिक भाषा के संबंध में उन्होंने माध्यमिक स्तर पर सांकेतिक भाषा को एक विषय के रूप में शुरू करने के लिए एनआईओएस की प्रशंसा कीजो समावेशी समाज के निर्माण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

श्री संजय कुमारसचिव (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) ने कहा कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक दिव्यांग बच्चा अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर सके। एनआईओएसदिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और एनसीईआरटी सामूहिक रूप से दिव्यांग बच्चों के जीवन में बदलाव लाने के लिए काम कर रहे हैं।

प्रभावी समन्वय और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिएसमझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले तीन पक्षों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) का गठन किया जाएगा। समिति प्रगति की निगरानी करेगीपरिचालन संबंधी मुद्दों की देखरेख करेगी तथा साझेदारी के उद्देश्यों की समय पर प्राप्ति सुनिश्चित करेगी।

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