*शिक्षा मंत्री ने अरसू स्कूल में सम्मानित किये पूर्व छात्र*
कुल्लू (अरसू), 29 दिसंबर : राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अरसू में सोमवार को वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह एवं पूर्व छात्र सम्मेलन का भव्य एवं उत्साहपूर्ण आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के वर्तमान विद्यार्थियों के साथ-साथ पूर्व छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कार्यक्रम में प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की, जबकि हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (मिल्कफेड) के अध्यक्ष बुद्धि सिंह ठाकुर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने विद्यालय के पूर्व छात्र सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए भी सौभाग्य की बात है कि प्रदेश के पुराने एवं प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शामिल इस विद्यालय के पूर्व छात्रों से संवाद का अवसर उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि पूर्व छात्र सम्मेलन न केवल स्मृतियों को संजोने का माध्यम है, बल्कि यह वर्तमान विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का सशक्त स्रोत भी है।
शिक्षा मंत्री ने विद्यालय के विद्यार्थियों को वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह की बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों की उपलब्धियों को सार्वजनिक मंच पर सम्मानित करना उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करता है।
उन्होंने विद्यालय की एसएमसी, प्रधानाचार्य, शिक्षकगण एवं विद्यार्थियों को वार्षिक उत्सव और पूर्व छात्र सम्मेलन के संयुक्त आयोजन के लिए विशेष रूप से सराहना की।
उन्होंने कहा कि इसी विद्यालय से शिक्षा प्राप्त अनेक पूर्व छात्रों ने देश और प्रदेश की सेवा में महत्वपूर्ण एवं सराहनीय योगदान दिया है। ऐसे सफल पूर्व छात्रों का अनुभव और मार्गदर्शन वर्तमान विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा और उन्हें लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने की दिशा देगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के दूरदर्शी नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में एक लंबा और गौरवशाली सफर तय किया है, जो अपने आप में ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1947 में देश की साक्षरता दर मात्र 13 प्रतिशत थी, जबकि उस समय हिमाचल प्रदेश में यह दर लगभग 7 प्रतिशत ही थी। उन्होंने कहा कि देश के 28 राज्यों एवं 8 केंद्र शासित प्रदेशों में हिमाचल प्रदेश और गोवा साक्षरता दर 99 प्रतिशत होने के साथ अग्रणी राज्यों में शामिल हैं। यह शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश सरकारों द्वारा किए गए सतत और महत्वपूर्ण प्रयासों का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि विकास की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्तमान में प्रदेश में महाविद्यालय की संख्या
133 हैं और देश के विभिन्न प्रगति सूचकांकों में हिमाचल प्रदेश को अग्रणी राज्यों में आंका गया है। बीते तीन वर्षों में शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। शिक्षा की गुणवत्ता पर भी निरंतर ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग है और इसके साथ ही इसकी जिम्मेदारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी विभाग पर देश और प्रदेश के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी निहित है। उन्होंने कहा कि आजादी के समय प्रदेश में जहां लगभग 200 शिक्षण संस्थान थे, वहीं आज इनकी संख्या बढ़कर 15 हजार से अधिक हो चुकी है। इसी प्रकार स्वास्थ्य क्षेत्र में भी अभूतपूर्व विकास हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय जो पहले 200 रुपये से भी कम थी, आज बढ़कर लगभग 2 लाख 57 हजार रुपये के करीब पहुंच चुकी है, जो समग्र विकास का स्पष्ट प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग को और अधिक सशक्त तथा सक्षम बनाने के प्रयास निरंतर जारी हैं। विभाग के सुदृढ़ीकरण की दिशा में विभिन्न स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। सभी शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, ढांचागत विकास को मजबूती देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेजी विषय की शुरुआत करना तथा हजारों अध्यापकों के पदों को भरना इसी दिशा में किए गए महत्वपूर्ण और सार्थक कदम हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के महाविद्यालयों में 484 सहायक प्रोफेसरों के पद भरे गए हैं। वहीं प्रदेश के विद्यालयों में 4000 से अधिक टीजीटी पदों की नियुक्ति की गई है, जिससे दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में अध्यापकों की कमी को पूरा किया गया है। इसके अतिरिक्त 600 से अधिक लेक्चरर्स के पद भी भरे गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग, जो प्रदेश का एक अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग है, उसमें प्रधानाचार्यों, डिप्टी डायरेक्टर्स तथा अन्य पदों पर पदोन्नतियां भी की गई हैं। वर्तमान में भी 3100 से अधिक टीजीटी मेडिकल एवं नॉन-मेडिकल पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया कि आगामी जनवरी माह में टीजीटी आर्ट्स तथा जेबीटी पदों की भर्ती प्रक्रिया भी आरंभ की जाएगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 4300 से अधिक स्कूलों को गोद लिया गया है, ताकि इन विद्यालयों को किस प्रकार और अधिक बेहतर बनाया जा सके, इस दिशा में ठोस और व्यावहारिक प्रयास किए जा सकें। इसके साथ ही प्रदेश की सभी वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में आईसीटी लैब उपलब्ध करवाना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछले वर्ष 9500 करोड़ रुपये व्यय किये गए थे जबकि आर्थिक चुनौतियों के बावजूद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एवं समस्त मंत्रिमंडल के मार्गदर्शन और समर्थन से चालू वर्ष में शिक्षा क्षेत्र के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसे शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और गुणवत्ता सुधार पर व्यय किया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया, वहीं मेधावी विद्यार्थियों को शैक्षणिक, खेलकूद एवं सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मंत्री ने पूर्व छात्र सूची पट्टिका का अनावरण किया।
इस अवसर पर पूर्व विधायक किशोरी लाल सागर, परस राम, बंसी लाल, एसडीएम मनमोहन उपेंद्र कांत मिश्रा, गोविंद शर्मा विद्यालय के प्रधानाचार्य योगराज ठाकुर सहित विद्यालय प्रबंधन समिति, शिक्षकगण, अभिभावक एवं क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों उपस्थित रहे।

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