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जनजातीय क्षेत्रों के विकास में सरकार की नीतिगत योजनाएं बनी वरदान



मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार राज्य का समावेशी विकास करने के लिए अभिनव कदम उठा रही है। सरकार दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के  विकास के लिए संवेदनशील है। प्रदेश में लगभग 5.71 प्रतिशत जनजातीय आबादी हैं। इनका सामाजिक और आर्थिक उत्थान सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है।  
जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के विकास के लिए राज्य योजना का नौ प्रतिशत जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत आवंटित किया गया है। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा पिछले तीन वर्षों में जनजातीय क्षेत्रों के लिए इस कार्यक्रम के तहत 2,386.15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह प्रयास सरकार की विकासोन्मुखी नीतियों को प्रदर्शित कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जनजातीय विकास कार्यक्रम के तहत 638.73 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक पहल करते हुए पांगी घाटी को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल घोषित किया है। किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने पांगी के किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती से उत्पादित जौ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदना भी शुरू कर दिया है। लगभग 40 मीट्रिक टन जौ की खरीद सुनिश्चित की जा चुकी है, जिससे क्षेत्र के किसान लाभान्वित हुए हैं। फरवरी 2024 में स्पीति में इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख-सम्मान निधि योजना को शुरू किया गया।
जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित किए जा रहे हैं। इस दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्रों में परिवहन क्षेत्र के माध्यम से आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए बस और ट्रेवलर वाहनों की खरीद पर पात्र युवाओं को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी तथा सड़क कर पर चार माह की छूट प्रदान की जाएगी। जनजातीय इलाकों में सौर ऊर्जा क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर सृजित करने के लिए सरकार निजी क्षेत्र में 100 किलोवाट से दो मेगावाट तक की सौर परियोजना स्थापित करने के लिए पांच प्रतिशत ब्याज उपदान प्रदान करेगी।
 इन क्षेत्रों में बुनियादी अधोसंरचना के निर्माण पर भी विशेष बल दिया जा रहा है।  पिछले तीन वर्षों में जनजातीय क्षेत्रों में परिवहन, सड़कों, पुलों और भवनों के निर्माण पर लगभग 476 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जनजातीय क्षेत्रों में 3,148 किलोमीटर मोटर योग्य सड़कों का निर्माण किया गया है। क्षेत्र में लगभग 61 प्रतिशत पक्की सड़कें हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को बर्फ़ से ढके क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया को शीघ्र पूर्ण करने का निर्देश दिए है ताकि मार्च-अप्रैल में निर्माण कार्यों को शुरू किया जा सकें। किन्नौर में निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए निगुलसरी में नई सड़क का निर्माण किया जाएगा।
जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए शिक्षा गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए निचार, भरमौर, पांगी और लाहौल में चार एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित किए गए हैं, जिनमें वर्तमान में 1,008 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया हैं। पांगी और कुकुमसेरी में नए परिसरों के लिए आधारशिला रखी गई है। पांगी और लाहौल में निर्माण कार्य प्रगति पर है और भरमौर में इस विद्यालय के निर्माण संबंधी औपचारिकताएं पूर्ण की जा चुकी है। निचार में अतिरिक्त छात्रावास संबंधी निर्माण कार्य प्रगति पर है। जनजातीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है और 40.29 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भारत सरकार को स्वीकृति के लिए भेजी गई है।
जनजातीय क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित की जा रही है। इन क्षेत्रों में दो क्षेत्रीय अस्पताल, छह नागरिक अस्पताल, पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 46 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, तीन आयुर्वेदिक अस्पताल, 73 आयुर्वेदिक औषधालय, 48 पशु चिकित्सालय, 118 पशु चिकित्सा औषधालय और पांच भेड़ और ऊन विस्तार केंद्र स्थापित किए गए हैं।
जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन के नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। किन्नौर में शिपकी-ला में सीमावर्ती पर्यटन शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री के प्रयासों के फलस्वरूप  शिपकी-ला में पर्यटकों की संख्या में तीन गुणा वृद्धि हुई है। राज्य सरकार शिपकी-ला से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने के लिए प्रयासरत है और इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाया गया है। तिब्बत के साथ पारंपरिक व्यापारिक गतिविधियां पुनः शुरू करने के प्रयास भी जारी हैं। बौद्ध पर्यटन सर्किट और एस्ट्रो-पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। लाहौल-स्पीति के काज़ा में स्टार गेजिंग सुविधा का शुभारम्भ किया गया है। चंद्रताल, तांदी, काज़ा, रकछम और नाको-चांगो जैसे अनछुए पर्यटक स्थलों को विशेष टूरिज्म योजना के तहत विकसित किया जा रहा है। जनजातीय क्षेत्रों में भी सतत विकास पर बल देते हुए कार्य योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। इस कड़ी में लांगजा, हिक्किम, मुड और कोमिक जैसे दुर्गम गांवों के 148 घरों में सोलर ऑफ-ग्रिड सिस्टम लगाए गए हैं। पांगी घाटी के गांवों में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं। काज़ा में दो मेगावाट का सोलर पावर संयंत्र क्रियाशील है, जबकि पांगी के धनवास में 1.2 मेगावाट और स्पीति के रोंगटोंग में 2 मेगावाट के सोलर पावर संयंत्र को शीघ्र ही क्रियाशील किया जाएगा।
जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ स्वीकृत करने की मांग प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। इस पर राज्य मंत्रिमंडल ने स्वीकृति प्रदान कर राज्यपाल के अनुमोदन के लिए प्रस्ताव भेजा है। अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वनवासी अधिनियम-2006 के तहत सितम्बर, 2025 तक 1,039 पट्टे वितरित किए जा चुके हैं। जनजातीय क्षेत्र किन्नौर और स्पीति के लोगों की सुविधा के लिए रामपुर में जनजातीय भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर है। नूरपुर जनजातीय भवन शीघ्र ही जनता को समर्पित किया जाएगा।
प्रदेश सरकार के प्रयासों से जनजातीय क्षेत्रों का अभूतपूर्व विकास हुआ है। जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की प्रति व्यक्ति पर आय राज्य की औसत से अधिक है। इसके साथ-साथ लिंगानुपात के साथ अन्य मापदण्डों भी यह क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार की नीतियों और योजनाओं से पंक्ति में खड़े अन्तिम व्यक्ति तक विकास सुनिश्चित किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग आर्थिक सम्पन्नता और समृद्धि के पथ पर अग्रसर है।

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