कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी उथल-पुथल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धरमय्या और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता का संघर्ष बढ़ता जा रहा है, जिसमें शिवकुमार गुट दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बना रहा है। वहीं, सिद्धरमय्या भी अपने करीबी नेताओं के साथ रणनीति पर चर्चा कर सक्रिय हो चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे पर पार्टी आलाकमान के फैसले का इंतजार करने को कहा है, जो जल्द ही अंतिम निर्णय करेगा।
यह राजनीतिक ड्रामा कर्नाटक की राजनीति में खासा चर्चा में है क्योंकि ढाई साल के कार्यकाल को लेकर पहले भी समझौते के संकेत थे, लेकिन अब दोनों विधा नेताओं के बीच असमंजस बढ़ा है। शिवकुमार के समर्थक दिल्ली में हैं और उनके 29 नवंबर को सोनिया गांधी से मिलने के प्रस्ताव पर भी बात हो रही है। दूसरी ओर सिद्धरमय्या ने भी हाईकमान के बुलावे पर दिल्ली जाने की बात कही है। कांग्रेस में स्थिरता और नेतृत्व को लेकर यह सियासी जंग आम जनता के लिए महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना पेश कर रही है।
संक्षेप में, कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद की गद्दी को लेकर जारी कशमा-कशरी की राजनीति का निर्णायक दौर नजदीक है, जो कांग्रेस के उच्च नेतृत्व के फैसले पर टिकी है। जनता की नज़रें अब दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक पर टिकी हैं, जहां इस सियासी तूफ़ान का समाधान निकलने की उम्मीद है। इस हालात ने कर्नाटक की राजनीतिक दिशा और कांग्रेस पार्टी के भविष्य को लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है।
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